2.3 Implications
2.3 समस्या/ प्रभाव/ उलझन
धीमी गति
से सीखने
वाले
बालक को अपनी निम्न शैक्षिक उपलब्धि के कारण
अनेक शैक्षिक समस्या का सामना करना पड़ता है| जिनमें समायोजन की समस्या, प्रेरणा का
आभाव, असफलता का भय आदि प्रमुख है| इन बालको को शैक्षिक समस्याओं को दूर करने के
लिए निम्न उपाय है—
1. स्वीकार करे कि एक औसत बालक की अपेक्षा धीमी गति से सीखने वाला
बालक 3-5 बार पुनःअभ्यास करके सीखेगा|
2. अधिकांशतः यह बालक सामान्य कक्षाओ में छिप जाते है अतः गहन तथा
अधिक ज्ञान प्राप्त के लिए प्रयोगात्मक तथा परिवारिक क्रियाओ को महत्व देनी चाहिए|
3. पिछड़े बालको को स्कूल तथा स्वाध्याय द्वारा लाभ मिल सकता है|
4. इन बालकों की छोटी कक्षायें तथा गृह कार्य दिया जा सकता है जिससे
इनमें अत्यधिक तनाव उत्पन्न न हो|
5. नई अवधारणा सिखाने के लिए बालक के मूल ज्ञान प्राप्ति स्तर
को समझना जरुरी है|
6. अभिनय तथा नाटक प्रदर्शन द्वारा, दृष्टि से सम्बन्धित अनुभवों के
द्वारा भी बालक को सिखाया जा सकता है किन्तु बहुत अधिक मौखिक व्याख्या से बचे|
7. धीमी गति से सीखने वाले
बालक पर उसकी योग्यता से अधिक सीखने का दबाव न बनाये|
8. बालक को कम से कम प्रतियोगी शैक्षणिक कार्यक्रमों में भाग लेने दे
क्योंकि इनसे उसमें सीखने के प्रति नकारात्मक भावना उत्पन्न होती है|
9. धीमी गति से सीखने वाले बालकों को सदैव प्रोत्साहित करते रहना
चाहिए|
10. बालक को प्रोत्साहित करने के लिए सदैव नए तरीकों का चयन करना
चाहिए|
11. बालक को शोध तथा खोज करने के के मौके दिये जाने चाहिए जिससे बालक
वास्तविक परिस्थिति के अनुसार विषय की अवधारणा समझ सके|
12. बालक को दिये जाने वाले निर्देश सरल हो तथा ध्यान रखे कि बालक
उन्हें भली भांति समझ गया है और निर्देश उसे याद भी हो|
इसके साथ-साथ धीमी गति से सीखने वाले पिछड़े बालको के साथ Eye to Eye Contact बने रहना चाहिए और बालक के माता-पिता को बालक के शिक्षा के प्रति प्रोत्साहन करना चाहिए जिससे वे बालक के गृह कार्य में सहायता कर सकें और बालक के विद्यालय में होने वाले कार्यक्रमों में उपस्थित हो सके तथा साथ ही उसके अध्यापक के संपर्क रहें| अभिभावकों की भागीदारी किसी भी बालक के शैक्षणिक प्रदर्शन में सकारात्मक तथा अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाती है|
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