Paper Code 105
Education
psychology
शिक्षा मनोविज्ञान
इकाई 1. Educational psychology
1.1
Nature, importance and scope
शिक्षा मनोविज्ञान, प्रकृति, क्षेत्र एवं महत्व
शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ समझने से पूर्व शिक्षा मनोविज्ञान के अर्थ को अलग-अलग समझना आवश्यक है।
शिक्षा का अर्थ
शिक्षा के अर्थ को स्पष्ट करने के संदर्भ में विभिन्न विचारकों, चिन्तकों, विद्वानों, दार्शनिकों आदि ने अपने-अपने मत दिये हैं। अतः स्वभाविक है, कि शिक्षा के अर्थ के सम्बन्ध में विभिन्न मत हैं।
शिक्षा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द शिक्ष धातु से हुई है। अर्थात् इसका अर्थ है, सीखना तथा ज्ञान प्राप्त करना अथवा अध्ययन करना।
अंग्रेज़ी भाषा के शब्द Education की उत्पत्ति लैटिन भाषा के Educatum शब्द से मानी जाती है। Education शब्द दो शब्दों E+Duco (ड्यूको) से मिल कर बना है। E का अर्थ है, आन्तरिक तथा Duco का अर्थ है, बाहर निकालना (लाना)।
अतः Education शब्द का अर्थ—आन्तरिक शक्तियों को बाहर
निकालना (लाना) है।
व्यापक अर्थ में शिक्षा को परिभाषित करते हुए प्रोफेसर डम्बिल ने कहा है—
“शिक्षा के व्यापक अर्थ
में वे सभी प्रभाव आते हैं, जो व्यक्ति को जन्म से लेकर
मृत्यु तक प्रभावित करते हैं।”
अरस्तु के अनुसार--
“स्वस्थ्य शरीर में
स्वस्थ्य मस्तिष्क का सृजन करना ही शिक्षा है।”
“Education is the Creation of Sound mind in a Sound Body.”
प्लेटो के अनुसार--
“शिक्षा शारीरिक, मानसिक तथा बौद्धिक विकास की एक प्रक्रिया है।”
“Education is a Process of Physical, Mantle and Intellectual
Development.”
मनोविज्ञान का अर्थ
The
meaning of psychology
मनोविज्ञान के जनक--विलियम वुन्ट
एक स्वतन्त्र विषय के रूप में मनोविज्ञान का अध्ययन लगभग 400 वर्ष पूर्व आरम्भ
हुआ। इससे पहले इस विषय का अध्ययन मुख्यतः दर्शन-शास्त्र के अंतर्गत किया
जाता था। समय के अनुसार मनोविज्ञान के अर्थ, प्रकृति तथा क्षेत्र में
अंतर आता रहा।
मनोविज्ञान अंग्रेज़ी भाषा के शब्द Psychology का हिन्दी रूपान्तण है। Psychology दो शब्दों psycho तथा logus से मिल कर बना है।
Psycho (साइको) का अर्थ है, ‘आत्मा’ तथा Logus (लोगस) का अर्थ है, ‘विचार करना’ अथवा अध्ययन करना।
अतः मनोविज्ञान आत्मा का अध्ययन करने वाला विज्ञान है।
(i) स्किनर के अनुसार—
“मनोविज्ञान व्यवहार और
अनुभव का विज्ञान है।”
“psychology is science behavior and experience.”--Skinner
(ii) पिल्स बरी (Pills Bury) के अनुसार-
“मनोविज्ञान मानव व्यवहार
का विज्ञान है।”
(iii) क्रो और क्रो के अनुसार—
“मनोविज्ञान मनो व्यवहार और मानव संबंधो का अध्ययन है|”
शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ
शिक्षा, मनोविज्ञान की वह शाखा है, जिसका सम्बन्ध पढ़ाने और सिखाने से है।–स्किनर
शिक्षा मनोविज्ञान दो शब्दों के य़ोग से बना है, शिक्षा + मनोविज्ञान। इसका शाब्दिक अर्थ है, ‘शिक्षा सम्बन्धी मनोविज्ञान’।
दूसरे शब्दों में यह मनोविज्ञान का व्यवहारिक रूप है और
शिक्षा की प्रक्रिया में मानव व्यवहार का अध्ययन करने वाला विज्ञान है।
(i) स्किनर के अनुसार--
“शिक्षा मनोविज्ञान अपना अर्थ
शिक्षा से जो सामाजिक प्रक्रिया है और मनोविज्ञान से जो व्यवहार सम्बन्धी
मनोविज्ञान से प्राप्त करना है।”
शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषाएं
क्रो और क्रो के अनुसार—
“शिक्षा मनोविज्ञान जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक व्यक्ति के
सभी सीखने सम्बन्धी अनुभवों का वर्णन और व्याख्या करता है।”
कश्यप और पुरी के अनुसार--
“शिक्षा मनोविज्ञान
शैक्षिक वातावरण में की हुई बालक अथवा व्यक्ति की क्रियाओं का अध्ययन हैं।”
स्किनर के अनुसार--
“शिक्षा, मनोविज्ञान की वह शाखा है, जिसका सम्बन्ध सीखने से
है। उसे शिक्षा मनोविज्ञान कहते हैं|”
शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति
सभी शिक्षा विशेषज्ञों ने शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति को
वैज्ञानिक माना है। उनका कथन है, कि विज्ञान अपनी विभिन्न खोजों के लिये वैज्ञानिक विधियों का
प्रयोग करता रहा है। तदोपरान्त उनसे प्राप्त होने वाले निष्कर्षों के आधार पर शिक्षा
की समस्याओं का समाधान करता है और छात्रों की उप्लब्धियों के सम्बन्ध में
भविष्यवाणी करता है।
जिस प्रकार वैज्ञानिक विभिन्न तथ्यों का परिक्षण और
निरिक्षण करके उनके सम्बन्ध में अपने निष्कर्ष निकाल कर किसी सामान्य नियम का
प्रतिपादन करता है, उसी प्रकार शिक्षक कक्षा
की विशेष या तात्कालिक समस्या का अध्ययन और विश्लेषण कर के उसका समाधान करने का
उपाय निर्धारित करता है। इस प्रकार अपनी खोजों में वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग
करने के कारण शिक्षा मनोविज्ञान को विज्ञान की श्रेणी में रखा गया है। शिक्षा मनोविज्ञान
निष्कर्षों के प्रयोग को व्यवहारिक रूप प्रदान कर मानव जीवन को सुखी बनाने के लिये
प्रयास करने के कारण कला की श्रेणी में भी आता है।
शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र व विषय सामग्री
शिक्षा मनोविज्ञान एक नवीन तथा स्वतंत्र विषय है। इसके क्षेत्र
की सीमाएं निश्चित नहीं हैं। शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र पर कुछ लेखकों के विचार
इस प्रकार हैं-
(i) क्रो एवं क्रो के अनुसार--
“शिक्षा मनोविज्ञान की
विषय सामग्री का सम्बन्ध सीखने को प्रभावित करने वाली दशाओं से है।”
(ii) डग्लस व हॅालैण्ड के अनुसार-
“शिक्षा मनोविज्ञान की
विषय सामग्री शिक्षा की प्रक्रिया में भाग लेने वाले व्यक्ति की प्रकृति, मानसिक जीवन और व्यवहार है।”
उपर्युक्त परिभाषाओं से निम्नलिखित बातें स्पष्ट होती हैं, जो शिक्षा मनोविज्ञान के विषय विस्तार से सम्बन्धित हैं--
1.
बालक की विशेष योग्यताओं
का अध्ययन।
2.
बालक की रुचियों और
अरुचियों का अध्ययन।
3.
बालक के वंशानुक्रम एवं
वातावरण का अध्ययन।
4.
बालक के विकास की
अवस्थाओं का अध्ययन।
5.
बालक की शारीरिक, मानसिक और सम्वेगात्मक क्रियाओं का अध्ययन।
6.
बालक की व्यक्तिगत
विभिन्नताओं का अध्ययन।
7.
अपराधी, असाधारण और मानसिक रोगों से ग्रस्त बालकों का अध्ययन।
8.
सीखने की क्रियाओं का
अध्ययन।
9.
शिक्षा की समस्याओं का
अध्ययन।
10.
व्यक्तित्व मापन का
अध्ययन।
11.
बुद्धि का स्वरूप, विशेषताएं एवं बुद्धि लब्धि का अध्ययन।
12.
शिक्षा के उद्देश्यों और
उनको प्राप्त करने की विधियों का अध्ययन।
13.
अनुशासन सम्बन्धि
समसमस्याओं का अध्ययन।
14.
पाठ्यक्रम निर्माण से
सम्बन्धित अध्ययन।
15.
बालक एवं शिक्षक के
मानसिक स्वास्थ्य का अध्ययन।
16.
बालक की प्रेरणाओं एवं
मूल प्रवृत्तियों का अध्ययन।
17.
बालक की विभिन्न
उपलब्धियों की परिक्षाओं का अध्ययन।
18.
समायोजन, तनाव व संघर्ष का अध्ययन।
निष्कर्ष रूप में हम स्किनर के शब्दों में कह सकते हैं--
“शिक्षा मनोविज्ञान के
क्षेत्र में वह सब ज्ञान और विज्ञान सम्मिलित हैं, जो सीखने की प्रक्रिया
को अच्छी प्रकार से समझने में और उनका कुशलता से निर्देशन करने के लिये आवश्यक है।”
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