1.3 Value
education
मूल्य शिक्षा
मानव मूल्य एक ऐसी आचार संहिता या सद्गुण समूह है, जिसे अपने संस्कारों तथा पर्यावरण के माध्यम से अपना कर मनुष्य अपने निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु अपनी जीवन
शैली का निर्माण करता है एवं अपने व्यक्तित्व का विकास करता है।
इनमें मनुष्य की अवधारणाएं, विचार, विश्वास, आस्था या निष्ठा आदि समाहित होते हैं।
ये मानव मूल्य व्यक्ति के अंतःकरण द्वारा नियंत्रित होते हैं।
‘बहुजनहित।‘ इन जीवन मूल्यों की ही कसौटी मानी जाती है।
मूल्य का अर्थ एवं परिभाषा
मूल्य को अंग्रेजी में Value कहते हैं। इस Value शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के Valor शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है, उपयोगिता, वाँछनीयता, गुण, एवं विशेषता आदि। यदि मूल्य का अर्थ और अधिक स्पष्ट किया जाए, तो उसका अभिप्राय, किसी व्यक्ति के विचार व वस्तु में उस गुण से है, जिसके कारण उसे उपयोगी और महत्वपूर्ण समझा जाता है।
परिभाषाएं
Urban के अनुसार
“मूल्य वह है, जो मानव इच्छाओं की पुष्टि करे।”
“Value is that, which satisfies human
desire.”
Mackenzie के अनुसार
“सुख को मूल्य की अनुभूति के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।”
Kane के अनुसार
“मूल्य वे आदर्श विश्वास या वे प्रतिमान हैं, जिनको एक समाज या समाज के अधिकाँश सदस्यों ने ग्रहण कर लिया है।”
“हमारे जीवन
के जो भी प्राप्तत्व है तथा वह वांछित एवं वांछनीय भी हैं तो वह हमारे मूल्य हैं|”
“मूल्य किसी भी व्यक्ति के वह गुण हैं जो उसके
कार्यों व क्रियाओं को निर्देशित करते हैं|”
जीवन मूल्यों को निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है—
1. शैक्षिक मूल्य।
2. नैतिक मूल्य।
3. राजनैतिक मूल्य।
4. सांस्कृतिक मूल्य।
5. पर्यावरणीय मूल्य।
पांच ऐसे मूल्य हैं, जिन्हें सार्वभौमिक माना गया है, जो निम्नलिखित हैं—
1. सत्य।
2. सही आचरण (धर्म)।
3. शान्ती।
4. प्रेम।
5. अहिन्सा।
मूल्य तथा शिक्षा
शिक्षा समाज की वह सीढ़ी है, जिस पर चढ़कर व्यक्ति संस्कारों को संवारता है और जीवन को दिशा प्रदान करता है।
शिक्षा, समाज तथा व्यक्ति तीनों मिल कर ये निर्धारित करते हैं, कि अमुक काल में व्यक्ति तथा समाज का कल्याण किन बातों पर ध्यान देने से सम्भव है|
rakesh
वर्तमान शिक्षा ऐसी होनी चाहिये, जिसके अंतर्गत बालक सत्य या अहिन्सा द्वारा प्रेम पूर्वक जीवन-यापन करना सीखे।
मूल्य शिक्षा की आवश्यक्ता-
1.
आज व्यक्ति के सुखद भविष्य व उसके व्यक्तित्व के संतुलित विकास के लिये सामाजिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों की शिक्षा की अनिवार्य आवश्यक्ता है।
इसमें मनुष्य स्वयं को मानवीयता, अलगाववाद एवं साँस्कृतिक विपन्नता से दूर रख सकेगा, जो उसकी सुख समृद्धि के लिये ज़रूरी है।
2.
यदि हम सुखद एवं समृद्ध भारत की कल्पना करना चाहते हैं, तो सर्वप्रथम बालकों के अंतर मन में उचित मूल्यों का विकास करना होगा।
इसके लिये मूल्य व मूल्यपरख शिक्षा आवश्यक है।
3.
नैतिकता की परख करने के सामर्थ्य के लिये मूल्य शिक्षा आवश्यक है।
4.
मूल्य व मूल्य परख शिक्षा द्वारा छात्रों को वान्छित मूल्यों का ज्ञान कराएं और उनके अनुकूल चलने के लिये प्रोत्साहन दें।
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