Skip to main content

Posts

Showing posts from May, 2021

101 Unit 1.3 Definition and Categories of Disability as per National laws राष्ट्रीय अधिनियम के अनुसार विकलांगता की परिभाषा और क्षेत्र

 101 1.3 Definition and Categories of Disability as per National laws राष्ट्रीय अधिनियम के अनुसार विकलांगता की परिभाषा और क्षेत्र विकलांग व्यक्तियों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए तथा उनको उन्हें अधिकाधिक सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने कई अधिनियम पारित किया, जिसमें से प्रथम अधिनियम है—PWD Act (1995) Person with Disability equal opportunities rights and full Participation act 1995 ( निःशक्त जन अधिनियम, समान अवसर एवं अधिकारों का संरक्षण एवं पूर्ण भागीदारी अधिनियम 1995) यह अधिनियम 7 फरवरी 1996 से जम्मू-कश्मीर राज्य को छोड़ कर सम्पूर्ण भारत में लागू किया गया | यह अधिनियम निःशक्त जनों के लिये समान अवसर, उनके अधिकारों का संरक्षण और सामाजिक, सांस्कृतिक सभी क्रिया-कलापों में पूर्ण भागीदारी की बात करता है | यह अधिनियम कहता है कि--निःशक्त बच्चों को   सम्बन्धित सरकार और स्थानीय प्रशासन द्वारा मुफ्त शिक्षा मिलनी चाहिये और यह शिक्षा प्रत्येक निःशक्त बच्चे को 18 साल की उम्र तक उचित वातावरण में प्राप्त होनी चाहिये | इस अधिनियम में यह प्राविधान है कि--निःशक्...

Rehabilitation Council of India (RCI) भारतीय पुनर्वास परिषद्

  Rehabilitation Council of India ( RCI) भारतीय पुनर्वास परिषद् विकलांगों के पुनर्वास पर सन्‌ 1981 में भारत सरकार का ध्यान किया गया और सन्‌ 1981 को अंतर्राष्ट्रीय विकलांग वर्ष घोषित किया गया। इसके बाद सन् 1986 में पुनर्वास परिषद् का गठन किया गया, इसका कार्य विशेष शिक्षा की व्यवस्था करना था। पुनर्वास परिषद् के गठन के पूर्व प्रशिक्षित मानव संसाधनों की कमी के कारण देश में पुनर्वास सेवाओं का अपेक्षित विस्तार नहीं हुआ था, विकलांगता के क्षेत्र में चल रहे , वर्तमान प्रशिक्षण कार्यक्रम एकांगी एवम्‌ अस्थायी थे साथ ही पाठ्यक्रम का कोई स्तर नहीं था। पूर्व स्नातक , स्नातक एवम्‌ स्नाकोत्तर स्तर पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों में भी शिक्षण पाठ्यक्रमों में एकरूपता का अभाव था , अतः भारत सरकार नेशन 1986 में भारतीय पुनर्वास परिषद् का गठन का निर्णय लिया और सन् 1992 एक एक्ट पारित करके इसे संवैधानिक निकाय का दर्जा प्रदान किया ,   यह एक भारतीय पुनर्वास परिषद् एक्ट 1992 कहा जाता है। 1 सितम्बर को यह एक्ट पास हुआ और जून 22 जून 1993 में कार्यान्वित हुआ। इस अधिनियम को...

Taylor Frame टेलर फ्रेम

Taylor Frame  टेलर  फ्रेम x अठारहवीं शताब्दी के पुर्वार्द्ध में कैंम्ब्रिज के गणित के प्रोफेसर निकोलस सांडरसन ने सराहनीय प्रयास किया। उन्होंने एक ऐसी पाटी की रचना की , जिसके माध्यम से गणितीय संक्रियाओं को हल किया जा सकता था। सांडरसन की पाटी में कई सामान आकार के अष्टकोणीय छिद्र थे। इस आविष्कार के पश्चात एक अत्यंत उत्कृष्ट कार्य विलियम टेलर ने किया विलियम टेलर ने इस प्रयास को आगे बढ़ाते हुए उसमें संशोधन करके एक ऐसी गणितीय पाटी का निर्माण किया , जिसमें समान आकार के अष्टकोणीय छिद्र थे तथा आज इसे टेलर प्रेम के नाम से जाना जाता है। टेलर फ्रेम गणितीय समस्याओं को हल करने का उपकरण है, जो आयताकार या चौकोर होता है। इस उपकरण पर गणित की संख्याओं को लिखा जा सकता है अर्थात इसकी मदद से अंकगणित तथा बीजगणित में प्रयुक्त होने वाली संख्याएँ तथा चिन्हों को प्रदर्शित किया जा सकता है। इस उपकरण में लकड़ी का एक फ्रेम होता है जिसके अंदर एल्यूमीनियम की एक मोटी चादर लगी होती है। इस चादर में सामान दूरी पर  अष्टकोणीय छिद्र बने होते हैं। इस छिद्र युक्त चादर को दायी या बा यी  ओर एक बॉक्स बना होता...

Paper Code 104) D.Ed. (VI) 1.2 पर्यावरण अध्ययन सामाजिक विज्ञान के रूप में

1.2 पर्यावरण अध्ययन सामाजिक विज्ञान के रूप में भूगोल के अंतर्गत भूगोल में पर्यावरण विज्ञान की परिस्थितिकीय व्याख्या तथा किसी प्रदेश के अंतर्गत तत्वों को एवं मानव वर्ग के बीच पर्यावरण संबंध , आर्थिक संबंध और सामाजिक , सांस्कृतिक संबंधों को समझने और उनका मूल्यांकन करने का प्रयास किया जाता है। अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र का उद्देश्य जीवन स्तर को उच्च करने के लिए धन का उचित प्रयोग है।धन से तात्पर्य उन सभी प्राकृतिक संसाधनों से है जिनका उपयोग आर्थिक उत्पादन है। पर्यावरण अध्ययन और उत्पादन में संतुलन होना आवश्यक है अतः एक अर्थशास्त्री के लिए किया जाता है पर्यावरण अध्ययन और उत्पादन में संतुलन होना आवश्यक है अतः एक अर्थशास्त्री के लिए पर्यावरण का अध्ययन करना अनिवार्य होना चाहिए राजनीति विज्ञान पर्यावरण अध्ययन और राजनीति विज्ञान यह दोनों विषय परस्पर संबंधित हैं किसी देश की राष्ट्रीय सरकार की नीतियों ही राष्ट्रय के पर्यावरण का उन्नयन निर्भर करता है। समाजशास्त्र समाजशास्त्र मानव की सामाजिक एवं सांस्कृतिक समस्याओं का अध्ययन करता है। इसमें परिस्थितिकीय मानव संसाधनों का अध्ययन किया जा...

Paper Code 104) D.Ed. (VI) Unit 1: Concept of Environment Science (EVS) 1.1 Scope of Environment Science (EVS) as a curricular area at primary level

  Paper Code 104) D.Ed. (VI)  Unit 1: Concept of Environment Science (EVS) 1.1 Scope of Environment Science (EVS) as a curricular area at primary level पर्यावरण अध्ययन पर्यावरण अध्ययन एक विशेष विषय का समानवीय रूप है। अतः इसका संबंध एक ओर प्राकृतिक विज्ञान से है , तथा दूसरी ओर सामाजिक विज्ञान से है। पर्यावरण विज्ञान के अन्य रूपों के संबंध को निम्न रूपों में लिखा लिख सकते हैं— पर्यावरण अध्ययन विज्ञान के रूप में 1 . वनस्पति विज्ञान समस्त पेड़-पौधों का अध्ययन वनस्पति विज्ञान में किया जाता है। जो कि पर्यावरण में उत्पाद की भूमिका निभाते हैं। पर्यावरण के अन्य सभी उपभोक्ता इन्हीं वनस्पतियों पर निर्भर हैं। 2 . प्राणी विज्ञान समस्त जंतु पर्यावरण के महत्वपूर्ण अंग है , ये उपभोक्ता के लिए वनस्पतियों एवं अन्य जंतुओं का भक्षण करते हैं। पर्यावरण पर इनका प्रभाव सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रकार का हो सकता है। 3. रसायन विज्ञान पर्यावरण अध्ययन में विभिन्न प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण को रसायन विज्ञान के बिना समझना कठिन है। जल प्रदूषण , मृदा प्रदूषण के मानव वनस्पति तथा ...