Rehabilitation
Council of India (RCI)
भारतीय पुनर्वास परिषद्
विकलांगों के
पुनर्वास पर सन् 1981 में भारत सरकार का ध्यान किया गया और सन् 1981 को अंतर्राष्ट्रीय विकलांग वर्ष घोषित किया गया। इसके बाद सन् 1986
में पुनर्वास परिषद् का गठन किया गया,
इसका कार्य विशेष शिक्षा की व्यवस्था करना था।
पुनर्वास परिषद् के
गठन के पूर्व प्रशिक्षित मानव संसाधनों की कमी के कारण देश में पुनर्वास सेवाओं का
अपेक्षित विस्तार नहीं हुआ था, विकलांगता के क्षेत्र में चल रहे, वर्तमान प्रशिक्षण कार्यक्रम एकांगी एवम्
अस्थायी थे साथ ही पाठ्यक्रम का कोई स्तर नहीं था। पूर्व स्नातक, स्नातक एवम् स्नाकोत्तर स्तर पर विभिन्न
संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों में भी शिक्षण पाठ्यक्रमों में एकरूपता
का अभाव था, अतः भारत सरकार नेशन 1986 में भारतीय पुनर्वास परिषद्
का गठन का निर्णय लिया और सन् 1992 एक एक्ट पारित करके इसे संवैधानिक निकाय का
दर्जा प्रदान किया, यह एक
भारतीय पुनर्वास परिषद् एक्ट 1992 कहा जाता है।
1 सितम्बर को यह एक्ट
पास हुआ और जून 22 जून 1993 में कार्यान्वित हुआ। इस अधिनियम को संसद द्वारा वर्ष 2000
में इसे और अधिक व्यापक बनाने के लिए इसमें संशोधन किया गया। इस जनादेश द्वारा
भारतीय पुनर्वास परिषद के नीतियों व कार्यक्रम को विनियमित करने, विकलांगता वाले व्यक्तियों
के पुनर्वास एवं शिक्षा का दायित्व दिया गया। पाठ्यक्रमों को मानकीकरण करना और एक
केन्द्रीय पुनर्वास रजिस्टर सभी योग्य पेशेवर और विशेष शिक्षा के क्षेत्र में काम
करने वाले व्यवसायिकों और कार्मिकों को एक केन्द्रीय पुनर्वास रजिस्टर सभी योग्य
पेशेवरो और विशेष शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले व्यवसायिकों और कार्मिकों
को एक केन्द्रीय पुनर्वास पंजिका में पंजीकृत करने का कार्य सौंपा गया। इस अधिनियम
के तहत आयोग्य व्यक्तियों के द्वारा विकलांगता वाले व्यक्तियों को सेवाएं देने के
खिलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई करने का अधिकार प्रदान किया गया।
भारतीय पुनर्वास परिषद के उद्देश्य तथा कार्य
1. विकलांग व्यक्ति के पुनर्वास हेतु पर प्रशिक्षित
नीतियों तथा कार्यक्रम का संचालन करना।
2. सभी प्रकार के विकलांग व्यक्तियों को शिक्षा
देने वाले व्यावसायिको के लिए एक मानकीकृत प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करना।
3. विकलांग व्यक्तियों को शिक्षा तथा उन्हें
पुनर्वास प्रदान करने वाले व्यावसायिको को शैक्षिक स्तर तथा प्रशिक्षण स्तर के
आधार पर विभिन्न वर्गों में विभक्त करना तथा न्यूनतम योग्यता अनुमोदित करना।
4. संपूर्ण देश में पर प्रशिक्षित संस्थाओं में
इन मानको को एक रुपता के साथ संचालित करना।
5. विकलांगजनों के पुनर्वास के लिए विभिन्न
क्षेत्रों में चलने वाली डिग्री, डिप्लोमा, सार्टिफिकेट कोर्स के लिए संस्थानों तथा
विश्वविद्यालयों को मान्यता प्रदान करना।
6. विश्वविद्यालय तथा संस्थाओं द्वारा प्रदत्त
विदेशी डिग्री, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स को मान्यता प्रदान करना।
7. पुनर्वास के क्षेत्र में योग्यता प्राप्त तथा
मान्य व्यक्ति को केन्द्रीय पुनर्वास रजिस्टर में अंकित करना।
8. भारत तथा विदेशों के विकलांगों के पुनर्वास के
लिए व्यक्तियों तथा संस्थाओं द्वारा शिक्षण तथा प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए
नियमित आधार पर सूचना एकत्र करना।
9. विकलांगता के क्षेत्र में कार्य करने वाली
संस्थाओं के सहयोग से सतत शिक्षा कार्यक्रम को प्रोत्साहित करना।
10. विशेष शिक्षा तथा अनुसंधान के क्षेत्र में नई
खोजो एवम् अनुसंधान को प्रोत्साहित करना।
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