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1.4 Prevalence and demographic profile
व्यापकता और जनसांख्यिकी की स्थिती
व्यापकता
एक
जनसंख्या समूह एक निश्चित समय में वे सभी मामलों को दर्शाता है। यह निश्चित समय
में, एक वर्ष अर्थात 365 दिन का होता है। कुछ
समय पहले तक यह माना जाता था कि विश्व में हर 10 व्यक्तियों में से एक व्यक्ति
विकलांग है। किंतु वर्ष 2011 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विश्व विकलांगता
प्रतिवेदन वर्ल्ड डिसेबिलिटी रिपोर्ट (World Disability Report) जारी की जिसमें यह कहा गया कि जिसमें
जनसंख्या का लगभग 15% भाग किसी न किसी विकलांगता से ग्रसित है।
ऐसा अनुमान है कि जिसमें विकलांग व्यक्तियों की संख्या अब एक अरब से अधिक हो गई
है।
भारत में विकलांगता की व्यापकता की स्थिती
भारत में
विकलांगता संबंधी आंकड़े अधिकतर जनगणना प्राधिकरण एवम् राष्ट्रीय सिंपल सर्वे
संगठन (NSSO) द्वारा एकत्र किए जाते हैं। ऐसा अनुमान
है कि हमारे यहाँ विकलांगों की संख्या कुल जनसंख्या का लगभग 6-10% तक है। किंतु ये आंकड़े बहुत ही विश्वसनीय एवम् प्रमाणित आंकड़े नहीं
है। वर्ष 2001 में जनगणना प्राधिकरण में देश में दृष्टि, वाक्य् और गति संबंधी तथा मानसिक विकलांगता से संबंधित व्यक्तियों की
गणना की गई, और इस गणना के आधार पर यह तथ्य सामने आया
कि हमारे देश में विकलांग जनों की कुल संख्या 2 करोड़ 19 लाख है। जो कि कुल
जनसंख्या का लगभग 2.13% है।
भारत में विकलांगता के अनुसार विकलांग
व्यक्तियों की तुलनात्मक स्थित
जनगणना प्राधिकरण
और NSS ने निम्न स्थित प्रकट की है
|
विकलांगता का प्रकार |
जनगणना (2011) |
NSSO (2002) |
||
|
|
संख्या करोड़ में |
संख्या % में |
संख्या करोड़ में |
संख्या % में |
|
1. अस्थि
विकलांग |
0.61 |
28 |
0.97 |
51% |
|
2. दृष्टि विकलांग |
1.06 |
44 |
0.25 |
14% |
|
3. श्रवण विकलांग |
0.13 |
6 |
0.18 |
10 |
|
4. वाक्य विकार |
0.16 |
7 |
0.09 |
5 |
|
5. मानसिक विकार |
0.22 |
10 |
0.16 |
9 |
|
6. बहु विकलांग |
-- |
-- |
0.19 |
10 |
|
7. कुल |
2.19 |
190 |
1.85 |
100 |
विकलांगता की जनसांख्यिकी स्थिति को
प्रभावित करने वाले कारक
1. उम्र
निःशक्तता
की घटना दर व्यक्ति की उम्र पर ही निर्भर करती है जैसे—मानसिक मंदता एवं सीखने
(अधिगम) की निःशक्तता के सर्वेक्षणों में ज्यादा नाटकीय उतार चढ़ाव, बाल्य काल के
विद्यालयी वर्षों तथा में किशोरों में पाया गया है| शुरु आती समय में किशोरों की निःशक्तता का पता नहीं चल पाता, परंतु
स्कूल में प्रवेश एवं उम्र बढ़ने के साथ ही यह समस्या दृष्टि गोचर होने लगती है|
2. लिंग
व्यक्तियों
में कुछ निःशक्ताओं का होना लिंग पर आधारित होता है, ये निःशक्ताये लिंग सम्बन्धि रिक्सेसिव जीन के कारण होती है|
उदहारण
पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा वर्णान्धता 16 गुना अधिक होती है|
3. सामाजिक वर्ग एवं जाति
अल्प
संख्यक समूह प्रायः निम्न वर्ग से सम्बंध रखता है, निम्न सामाजिक, आर्थिक दशाएँ, कुपोषण, एवं सफाई की कमी, कोलाहल युक्त वातावरण
मानसिक मंदता, अधिगम अक्षमता, श्रवण विकलांगता आदि के लिये उत्तरदाई होते हैं|
भारत में विकलांगता की घटना
दृष्टिबाधिता
ऐसा
अनुमान है कि, विश्व में लगभग 45 लाख लोग दृष्टिबाधित
है, परन्तु राष्ट्रीय स्तर पर कोई सर्वेक्षण
नहीं है, जो दृष्टिबाधित लोगों को सही संख्या बता
सके फिर भी यूनीसेफ (UNISEF) द्वारा समर्पित प्रोजेक्ट PIED भारत के नौ राज्यों के एक खंड में विभक्त
है, जिनके अनुसार बच्चों की कुल अक्षमता वाली
संख्या में से 14.7% बच्चे दृष्टिबाधित। है।
PIED—Project Intergrated
Education for Disabled
श्रवण विकलांग
मानव
विकास विज्ञप्ति में भारत में 12 वर्ष की आयु के बच्चों को श्रवण दोष की घटना की
जानकारी प्रदान की जाती है, प्राप्त
रिपोर्ट के अनुसार श्रवण निःशक्तता (दोष) की घटना सबसे अधिक पश्चिम बंगाल में उस
के बाद क्रमशः कर्नाटक और बिहार में दर्ज की गई है।
मानसिक मंदता
NSSO के
अनुसार भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में एक हजार में से नौ बच्चों में विकास विलंब
से होने की सूचना बताई गई। ये सर्वेक्षण शून्य (0) से (14) चौदह वर्ष के आयु के
बच्चों पर किया गया था, शहरी
क्षेत्र में ये प्रतिशत काफी कम पाया जाता है।
चालन निःशक्तता
भारत में
अधिकतर चालन निःशक्तता पोलियो के कारण है, जो मस्तिष्क पक्षाघात के परिणाम स्वरुप उत्पन्न होती है।
भारत की
पूरी जनसंख्या में 30 मिलियन बच्चों की संख्या में लगभग 3 मिलियन बच्चे पोलियो से
पीड़ित हैं, परन्तु पल्स पोलियो के नए मामले आने लगभग
समाप्त हो चुके है।
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